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 Live Temples

Live Shree Kashtbhanjan Dev Hanumanji Mandir - Salangpur Gujarat, comes under the Vadtal Gadi of the Swaminarayan Sampraday. It is the only Swaminarayan Temple which does not have the Murtis of either Swaminarayan or Krishna as the Primary deity of worship. Address: Botad Road, Botad - Barwala State Hwy, Taluka, Sarangpur, Gujarat 382450

गुजरात के भावनगर में है मंदिर - ऐसा मंदिर गुजरात के भावनगर स्थि सारंगपुर गांव में है। इस प्रचीन हनुमान मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में हनुमान जी का दर्शन करने आता है और भक्ति करता है, उसके ऊपर से शनि देव का प्रकोप दूर हो जाता है। यहां महाराजा बनकर भक्तों के दुख दूर करते हैं हनुमान जी... जानकारों के अनुसार करीब 200 वर्ष पहले स्वामी नारायण मंदिर के स्थान पर सत्संग कर रहे थे। वे उस समय बजरंगबली की भक्ति में तल्लीन थे। तभी स्वामी नारायण को हनुमान जी के उस दिव्य रूप के दर्शन हुए। इसी के बाद मंदिर का निर्माण हुआ। कष्टभंजन हनुमान मंदिर का निर्माण स्वामी नारायण के भक्त गोपालानंद स्वामी ने कराया था। उन्होंने यहां बजरंगबली के बलशाली स्वरूप की मूर्ति की स्थापना कराई। मंदिर प्रशासन के अनुसार बजरंगबली की मूर्ति में साक्षात भगवान विराजमान है। मंदिर में मूर्ति की प्रतिष्ठा के समय स्वामी गोपालानंद ने इसे एक रॉड से इसे स्पर्श किया था। तभी मूर्ति में जान आ गई और वह हिलने लगी थी। मंदिर में हनुमान जी की प्रभावशाली मूर्ति है। यहां बजरंगबली रौबदार मूछों के साथ एक महाराजा की तरह सिंहासन पर विराजमान है, जबकि उनके चारों ओर वानर सेना का दल है। मंदिर में जिस सिंहासन पर बजरंगबली विराजमान है, उसमें 45 किलो सोना और 95 किलो चांदी का प्रयोग किया गया है, जबकि हनुमान जी के मुकुट में असंख्य हीरे-जवाहरात जड़े हुए हैं। सिंहासन के पास सोने की गदा रखी हुई है। यूं तो कर्मफलदाता शनि से सभी डरते हैं लेकिन शनिदेव खुद बजरंगबली से डरते हैं। सारंगपुर कष्टभंजन मंदिर में शनिदेव, हनुमान जी के पैरों के नीचे हैं। शनि देव यहां एक स्त्री के रूप में है। प्राचीन काल में शनिदेव के प्रकोप से सभी लोग परेशान थे। भक्तों ने हनुमान जी से इस संकट के निवारण की प्रार्थना की। तभी बजरंबली ने शनि देव को मारने का निर्णय लिया। चूंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे। वे स्त्री पर हाथ नहीं उठा सकते, इस कारण उनसे बचने के लिए शनिदेव ने स्त्री का रूप धारण किया था। शनिदेव के प्रकोप से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्री राम ने हनुमान जी को निर्देश दिया। तभी हनुमान जी ने बुराई के प्रतीक को खत्म करने के उद्देश्य से शनि देव का दमन किया। उन्होंने शनिदेव को अपने पैरों ने नीचे रखा। शनिदेव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भक्त मंदिर में नारियल चढ़ाते हैं। कष्टभंजन मंदिर में भूत-प्रेत बाधा व अन्य नकारात्मक शक्तियों का भी नाश होता है। माना जाता है कि भूत बाधा के पीड़ित को यहां बजरंगबली के सामने लाने व उनकी आंखों में देखने से समस्या दूर हो जाती है। इसके लिए यहां विशेष पूजा शनिवार के दिन होती है। जिन लोगों पर नकारात्मक शक्तियां हावी होती हैं और वे मानसिक रूप से विचलित होते हैं, ऐसे लोगों को बजरंगबली की मूर्ति के सामने खड़ा किया जाता है और उन्हें वो रॉड स्पर्श कराई जाती है। जिसका इस्तेमाल मूर्ति स्थापना के समय स्वामी गोपालानंद ने किया था। शनिवार को होने वाली प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मंदिर प्रशासन एक विशेष पुजारी को नियुक्त करता है। उसका ब्राह्मण होना जरूरी होता है। भूत बाधा दूर करने के दौरान पुजारी पीड़ितों को मंदिर की परिक्रमा व स्वामी नारायण महामंत्र के जप करने के लिए कहते हैं। मंदिर की देखरेख के लिए कोठारी गोरधन दास ने सन् 1899 में शास्त्री यंगनापुरुष को नियुक्त किया। शास्त्री ने अपने समयकाल में मंदिर प्रांगण का विस्तार किया। इसी के साथ मंदिर के पास में अपने आवास का भी निर्माण कराया। (courtesy: Speaking tree.in, Salangpur hanumanji- Official)

 

 

 

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