महर्षि दधीचि के अस्थि दान की कहानी by Dr Ragini Nayak
Saints
लोक-कल्याण के लिये, मानवजाति के हित के लिये, अपनी निजी इच्छाओं का, व्यक्तिगत अभिलाषाओं का त्याग वांछनीय है !
किसी की मस्कुराहटों पे हो निसार... किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार... किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार ...... जीना इसी का नाम है !
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